कभी सोने की चिडिया कहलाता था भारत। दुनिया में डंका बजाता था भारत। नमोबुद्धाय से चलता था भारत। फिर ऐसा क्या हो गया,  नीति, किस रीती से बन गया ‘वंचितों का भारत’ ? ये है मूल सवाल। इसका चाहिए जबाव। 



" वंचितों का भारत " की टीम। 





1, मनोज नैय्यर


1991 से पत्रकारिता में सक्रिय। कई प्रतिष्ठित अख़बारों में रिपोर्टिंग, संपादन, समाचार संपादक, स्थानीय संपादक के स्तर पर काम करने का अनुभव। साल 2007 से अबतक लगातार नेशनल और इंटरनेशनल न्यूज़ चैनल्स में स्क्रिप्ट राइटिंग, आउटपुट हैड, ब्यूरो प्रमुख, और प्रोग्रामिंग करने का ताजुर्बा। 20 नवंबर 2021 से ‘वंचितों का भारत’ की स्थापना। 




2, श्रीमती वीनिता कुमारी


स्क्रिप्ट राइटिंग में महारत, वाक-पुटता, अध्ययन एंकरिंग का दशकों का अनुभव। पेशे से अध्यापक। 




3, डॉ. अनामिका


सामाजिक शास्त्र में पीएचडी, अध्ययन में महारत, वाक-पुटता, एंकरिंग में रुचि दशकों का अनुभव। पेशे से अध्यापक।  



4, अमनदीप गिल


मल्टीमीडिया का स्टूडेंट। मूलनिवासी बहुजन समाज के लिए कुछ कर गजुरने की तमन्ना। 





5, सुखवर्ष कुमार



स्क्रिप्ट राइटिंग में महारत, 21 बरसों से पत्रकारिता में सक्रिय। 



6, महेश नैय्यर


पत्रकारिता का सेकेंड इयर का स्टूडेंट। अध्ययन में रुचि।