बाबा साहेब, डॉ. भीम राव अंबेदकर क्या हैं ? बाबा साहेब के

उद्देश्य। बाबा साहेब के संघर्ष की दास्तां क्या है। वर्तमान परिपेक्ष्य में भी बाबा साहेब क्यों प्रासंगिक हैं। 14 अप्रैल 2022 में भी ये अहम सवाल क्यों मुंह बाएं खडे हैं ? इसलिए क्योंकि दुनिया के सैकडों मुल्क 14 अप्रैल को विश्व समानता दिवस के तौर पर मनाते हैं। लेकिन भारत में 14 अप्रैल सरकारी स्तर पर अंबेदकर जयंती रस्म अदायगी के तौर पर मनाई जाती है। कोलंबिया यूनिवर्सिटी के पाठ्यक्रम में बाबा साहेब भारत रत्न डॉ. बीआर अंबेदकर की जीवनी विषय है। लेकिन भारत में ऐसा नहीं। क्यों ? हुकूमरान अप्रैल के एक पाक्षिक को राष्ट्रपिता ज्योतिबा फुले और बाबा साहेब डॉ. भीम राव अंबेदकर को समर्पित कर आपना उल्लू सीधा करने की ताक में हैं। दलित हिस्ट्री मंथ अप्रैल को वें सम्मान क्यों नहीं। जो, भारत में मिलना चाहिए? इसलिए क्योंकि भारत जातिवाद छोडना ही नहीं चाहता। दुनिया के 9 राष्ट्र जब धर्म मुक्त होने की राह पर है। भारत में तब भी पाखंडवाद का बोलबाला है। विज्ञान को छोड साधुओं के माध्यम से भारत को विश्वगुरु बनाने की मुहिम हुकूमरानों का मिशन है। भारत में दलित नेताओं का अकाल नहीं है। 131 दलित तो लोकसभा में बैठे हैं। विधानसभाओं में भी आरक्षण के बल पर सदस्य हैं। लेकिन मजाल कि कोई भारत में पाखंडवाद खत्म करने की वकालत करता दिखे। दिखेगा भी कैसे। सांसदी, विधायकी छिन्न जाने का डर। तस्वीर का दूसरा रुख देखिए। 2006 में आरक्षण का विरोध करने वाले कितनी आसानी से शोर मचा रहे हैं।

बाबा साहेब का मिशन अधूरा, केजरीवाल करेगा पूरा। नारा मान्यवर साहिब श्री कांशी राम ने दिया था। लेकिन मान्यवर की बनाई बीएसपी हाथी को गणेष बताने की जिद में आपने ही नारे से विमुख हो गई और वोट की फसल दूसरे काट कर ले गए। सामाजिक न्याय, सामाजिक परिवर्तन, समानता को दरकिनार कर सोशल इंजिनियरिंग का राग अलापने वाले इडडब्लूएस को मान्यता दिलाते हैं तो वोट की फसल दूसरे ही काटेंगे। पाखंडवाद के सहारे चलने वाले समरसता की दुहाई तो देते हैं। लेकिन बाबा साहेब का मिशन तो जातिमुक्त भारत है। पाखंडवादी सभी को हिन्दू बनाने की मुहिम को चला कर। बाबा साहेब के मिशन को जमींदोज़ करने की ओर बढ रहे हैं। सत्ता उनका काम आसान कर रही है। ओवैसी ब्रदर्स जम कर उनकी मदद कर रहे हैं। 80 बनाम 20 के नारे को सत्ता संरक्षण में तेज गति की हवा दी जा रही है। 5 किलो अनाज पकडा सभी केटेगरी को हिन्दू बनाने का लक्ष्य इस साल जून तक तय किया गया है। ओबीसी ध़डल्ले से हिन्दू बनने को प्राथमिकता दे रहा है। इसी बल पर ब्राह्मण राज़ की ओर तेजी से मूलनिवासी-बहुजनों का भारत बढ रहा है। साजिश को समझे।

दलित हिस्ट्री मंथ में ब्राह्मणी पत्रकार अर्नब गोस्वामी पाखंडवाद को बढाते हुए बाबा साहेब की तौहीन कर रहा है। अर्नब ने आपनी मालिकी वाले चैनल पर ओवैसी ब्रदर्स का सहारा ले जहर उगला। वे भी तब जब गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान दंगों के दौर से गुजर रहा है। 14 अप्रैल 2022 के दिन ही अर्नब ने बाबा साहेब और संविधान की तौहीन की है। छोटे ओवैसी के 15 मिनट के पुलिस हटाने वाले बयान पर अदालत के फैसले का जिक्र कर आतंक के नए पारुप अर्नब ने बाबा साहेब के संविधान को अंग्रेजों का दस्तावेज बताते हुए ट्वीट किया। मजाल किसी मूलनिवासी-बहुजन की ट्वीट को रिट्वीट करे। ये है हुकूमरानों का राष्ट्रपिता ज्योतिबा फुले और बाबा साहेब को समर्पित पाक्षिक। इसलिए बाबा साहेब का जातिमुक्त भारत अब और भी प्रासंगिक हो जाता है। बाबा साहेब के संघर्ष को उनकी जीवनी के माध्यम से ही महसूस किया जा सकता है। उस जीवनी को जो कोलंबिया यूनिवर्सिटी में पढाई जा रही है। क्या इसकी पहल करेगा कोई मूलनिवासी-बहुजन ???

-मनोज नैय्यर