वे पहुंचे। उन्हें पहुंचना ही था । दद्दू , मेरा मित्र महा उतावला। बोला, " यार, देखना इस बार वे न जायेंगे। जाना होता तो अब तक चले गये होते। " मैंने कहा, " वे ज़रूर जाएंगे।भरोसा रखो। "
दद्दू बोला,"अब तक तो नहीं गये । "
मैंने कहा , " सही समय पर जायेंगे। वे वहां न जायें ऐसा हो ही नहीं सकता।"
उन्होंने निराश नहीं किया। ऐसे मामलों में कभी नहीं करते।
" दद्दू बोला , " गुरु , वे पहुंच गये । मान गये तुम्हारे भरोसे को।"
" मेरा भरोसा गया तेल लेने। उन्हें हमेशा से पक्का भरोसा है कि उनकी मंज़िल का रास्ता कैराना से होकर ही गुजरता है। उन्हें कैराना पहुंचना ही था।
सो वे कैराना पहुंचे । पूरे आठ साल बाद दोबारा पहुंचे । इतने साल बाद पहुंचे तो लाजमी था कि गली-गली घूमते। वे घूमे। लाजमी था हर दरवज्जे माथा टेके।
टेका उन्होंने और बोले,
" उनकी आत्मा को ठंडक पहुंची कैराना आकर।" कैराना वाले डर गये। वे जान गये हैं कि साहब की आत्मा को ठंडक आग से मिलती है।
" कैसे हो , खैरियत से हो न ? "उन्होंने कैराना वालों से पूछा ।
" अब तक तो खैरियत है । अब आप गये हैं। खुदा खैर करे ।" कहना चाहते थे कैराना वाले। पर नहीं कहा।
" कोई दंगा-वंगा तो नहीं हुआ न फिर से ? उन्होंने मुस्कुराकर पूछा।
" आप ही सरकार बन गये तो कौन करता हुजूर " कहना चाहकर भी चुप रहे कैराना वाले एक बार फिर। " जो भाग गये थे वे लौट आए या नहीं। " पूछा उन्होंने । इस बार भीड़ मे से कोई बोला , " भागा तो पहले भी कोई नहीं था हूजूर।"
वे समझ गये कि कैराना से रवानगी लेने का समय है।
ये छोटे हुजूर हैं । उन्हें पता है कि बड़े हुजूर कहीं भी जाएं , जहन्नुम भी जाएं तो वहां से कोई न कोई रिश्ता ज़रूर बताते हैं। जहन्नुम से तो उनका बड़ा गहरा रिश्ता है क्योंकि जहां होते हैं उसे ही जहन्नुम बना देते हैं।
जाटलैण्ड़ में हैं तो जाटों से रिश्ता बताना होगा, सोचा छोटे हूजूर ने। इतिहास में डुबकी लगाकर बताया उन्होंने। सुनकर दद्दू उछला , बोला " गज़ब की फेंक रहा है । कह रहा है जाटों से साढ़े छ:सौ सालों से रिश्ता है। जाटों ने तब मुगलों से लड़ाई की थी । अब हम कर रहे हैं। यानी देश में आज भी मुगल हैं । सही कहते हैं वे कि पहले की सरकारों ने गलत इतिहास पढ़ाया।"
मैंने हंसकर कहा , " ये इतिहासजीवी लोग हैं । इतिहास में ही जीते हैं । केवल चुनाव लडने के लिये वर्तमान में आते हैं साथ में अब्बाजान को लेकर।
" गुरु , चुनाव हैं सो तो ठीक है। पर अब तक छोटे हुजूर ने यहां न तो कोई फीता काटा और न कोई पत्थर गाड़ा शिलान्यास का ।" मैंने दद्दू को समझाया , " वो सब खेल के वार्म अप राउंड में होता है । बड़े हुजूर करते हैं वे खट्करम। टीम वर्क है न। फाइनल राउंड में अब कैराना और अब्बाहूजूर ही होगा। जैसे हाॅकी में पेनाल्टी स्ट्रोक होता है न वैसे ही इनके खेल का मास्टर स्ट्रोक समझो इसे । चुनावपोस्ट नजदीक आने पर ये इसी स्ट्रोक के आसरे रहते हैं।" दद्दू बोला ," गुरू, अब समझा मैं कि इनके कैराना जाने पर तुम्हें इतना कान्फिडेंस क्यों था।"
मैंने कहा , देखते जाओ प्यारे । अभी तो वाइस कैप्टन पहुंचे हैं। कैप्टन और बाकी टीम भी पहुंचेगी। कैराना कोई एक थोडेई है । जहां भी चुनाव वहां कैराना हो सकता है । और अब्बाहुजूर , वे तो सारे मुल्क में हैं , और रहेंगे।"
दद्दू ने प्लेट में बची हुई चाय सुड़ककर खत्म की और बोला , " वो छापे वाले गुटके का पाउच बढ़ाओ।"
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▪️श्रीकांत आप्टे
31 जनवरी, 2022
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